Gramin Shiksha ki Gunwatta aur Chunautiyan

Authors

  • Chourasia, K. P. Research Scholar Author

Keywords:

ग्रामीण शिक्षा, शैक्षिक गुणवत्ता, शिक्षक प्रशिक्षण, अवसंरचना, सामाजिक-आर्थिक बाधाएँ, बालिका शिक्षा, नीति-हस्तक्षेप, सामुदायिक सहभागिता, समग्र शिक्षा अभियान, सर्व शिक्षा अभियान

Abstract

यह लेख ग्रामीण शिक्षा की गुणवत्ता, उसकी चुनौतियों और सुधार की संभावनाओं का समग्र विश्लेषण प्रस्तुत करता है। ग्रामीण शिक्षा केवल विद्यालयों की संख्या तक सीमित न होकर, यह उस सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक और तकनीकी परिप्रेक्ष्य से जुड़ी है जिसमें ग्रामीण बच्चे सीखते और विकसित होते हैं। अध्ययन में यह पाया गया कि भारत में ग्रामीण शिक्षा की स्थिति यद्यपि नामांकन और साक्षरता दर के मामले में बेहतर हुई है, फिर भी गुणवत्ता, शिक्षक उपलब्धता, डिजिटल पहुँच और सामाजिक समानता के क्षेत्रों में गंभीर अंतर विद्यमान हैं। प्रमुख अवरोधों में अपर्याप्त अवसंरचना, प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी, पारंपरिक शिक्षण विधियाँ, डिजिटल डिवाइड, गरीबी, बाल श्रम, लैंगिक असमानता और अभिभावक सहभागिता की कमी शामिल हैं। लेख में विभिन्न सरकारी योजनाओं—जैसे सर्व शिक्षा अभियान, समग्र शिक्षा अभियान और मध्याह्न भोजन योजना—के प्रभाव का मूल्यांकन किया गया है, साथ ही सफल मॉडलों जैसे सामुदायिक भागीदारी, डिजिटल नवाचार और पंचायत-आधारित शिक्षा प्रबंधन को प्रभावी उपायों के रूप में रेखांकित किया गया है। अध्ययन यह सुझाव देता है कि ग्रामीण शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए अवसंरचना सुदृढ़ीकरण, शिक्षक प्रशिक्षण, डिजिटल सशक्तिकरण और नीति-क्रियान्वयन की निगरानी आवश्यक है। इसके अतिरिक्त, क्षेत्रीय शोध और तुलनात्मक अध्ययनों के माध्यम से स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप नीति बनाना भविष्य की प्राथमिकता होनी चाहिए। इस प्रकार, ग्रामीण शिक्षा में सुधार केवल शैक्षिक प्रगति ही नहीं, बल्कि सामाजिक समावेशन और आर्थिक विकास का भी प्रमुख आधार बन सकता है।

Author Biography

  • Chourasia, K. P. , Research Scholar

    Department of Education, Sacchidanand Sinha College, Aurangabad, Bihar

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Published

28.10.2025

How to Cite

Prasad Chourasia, K. (2025). Gramin Shiksha ki Gunwatta aur Chunautiyan. Wisdom Vortex: International Journal of Social Science and Humanities, 1(3), 06-12. https://wvijsh.shodhmitra.com/index.php/wvijsh/article/view/20