Jharkhand ke Adivasi Sanskriti Ewam Adiwasiyatata par Sankat ke Baadal

Authors

  • R. G. Kujur DSPM University Ranchi Author

DOI:

https://doi.org/10.64429/wvijsh.01.03.007

Keywords:

आदिवासी, आदिवासियतता , संस्कृति भाषा, शहरी शिक्षा, सरकारी नीति, धर्म परिर्वतन, अधिग्रहण विस्थापन, अस्तित्व, आर्थिक समस्या, गरीबी, अज्ञानता, वनवासी

Abstract

आदिवासी समाज में आदिवासियता के हर पहलूओं का चिंतन मनन किया गया है। आदिवासियों के संस्कृति, कला, भाषा एवं जल, जंगल, जमीन आदिवासियतता की अपनी पहचान है। पर वर्तमान युग में शासकों की गुलामी, सरकारी नीति, धर्म परिवर्तन, अधिग्रहण, विस्थापन व आधुनिक विदेशी शिक्षा में हमारी आदिवासियतता को काफी हद तक नुकसान पहुंचाया है। कहना चाहिए कि हमारी आदिवासी संस्कृति पर संकट के बादल छाये हुए हैं। हमारे पुरखों ने जो जीवन दर्शन तय किया था जो मान्यता स्वीकार की थी वह खंडित होता जा रहा है। हम अपनी मातृभाषाओं से दूर बहुत दूर भाग रहे हैं। आदिवासियों में जागृति की कमी होती जा रही है। इसका नतीजा यह हो रहा है कि हमारे पास न मातृभाषा बच पा रही है और न हमारी सर्वोत्तम समस्त संस्कृति। अपनी आदिवासियता की रक्षा के लिए एवं इस खतरे के बादल से उबरने के लिए उस पर चर्चा करना समीचीन होगा। हमारी अखरा धूमकुड़िया आदि की संस्कृति समाप्त होती जा रही है। आवश्यकता है इस अखरा संस्कृति को बचाने की। तभी हम आदिवासियों की आदिवासियतता को बचा पाएंगे। वर्तमान में इसे बचाना और बनाना ही हम आदिवासियों की सबसे बड़ी चुनौती है।

Author Biography

  • R. G. Kujur, DSPM University Ranchi

    Research Scholar, University Department of Philisophy, DSPM University, Ranchi

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Published

21.10.2025

How to Cite

Kujur, R. G. (2025). Jharkhand ke Adivasi Sanskriti Ewam Adiwasiyatata par Sankat ke Baadal. Wisdom Vortex: International Journal of Social Science and Humanities, 1(3), 01-05. https://doi.org/10.64429/wvijsh.01.03.007